Thursday, November 26, 2009

एक बैंक में जिंदगी

आज से छः महीने पहले जब मैंने पहली नौकरी में , एक बैंक अधिकारी के रूप में ज्वाइन किया तो मुझे इस क्षेत्र के बारे में ज़रा कम ही पता था। यूँ तो बचपन से बैंकिंग सुविधाओं का प्रयोग करते हुये एक ग्राहक के रूप में बैंक को ढंग से देखा था पर एक बैंकर के रूप में जिंदगी के बारे में कभी सोचा भी नही था। नौकरी के लिए फॉर्म भरते वक्त भी बस परीक्षा देने पर ध्यान दिया ये दिमाग में कभी नही आया की चयन हुआ तो क्या होगा।
चयन के बाद एक दिन मैंने तय किया की नौकरी ज्वाइन करनी है । सबसे पहले दिमाग गया वेतन और पोस्टिंग की जगह पर। पोस्टिंग शुरुआत में अपने गृह अंचल में ही मिलनी थी और वेतन के बारे में कुछ पता नही चल पा रहा था। वो तो ट्रेनिंग में जाने के बाद पता लगा की बैंक अधिकारी का वेतन तो बहुत कम होता है और ब्रांच में जा कर पता चला की नौकरी कितनी कठिन होती है। नौकरी ज्वाइन करने के बाद वेतन को आधार बना कर और काम की कठिनाई को सोच कर नौकरी छोड़ने का विचार मुझे बहुत हेय सा लगा ।
वास्तव में आर्थिक सुधारों के बाद से राष्ट्रीयकृत बैंकों में बड़ा भारी परिवर्तन aआया है। निजी बैंकों के साथ स्पर्धा ने , वित्तीय समावेशन की प्रतिबद्धता ने और नई तकनीकी नेकाफी परिवर्तन किए हैं।
इस ब्लॉग में मै समय समय पर ऐसे परिवर्तनों की चर्चा के साथ साथ अपने निजी अनुभवों को आप सबसे बांटना चाहता हूँ। साथ ही बैंकिंग के बारे में अपनी समझ को यहाँ रखने की कोशिश रहेगी जिससे आप उसका फायदा उठा सकें ।
अभी रात ज्यादा हो चुकी है शेष कल!

10 comments:

  1. बधाई। ब्लॉगजगत में स्वागत।

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  2. Welcome to the world of blogs. Eagerly waiting for your experiences as Banker....

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  3. Welcome in the world of thought communication.
    To know more our system visit Bhagyodayorganic.blogspot.com

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  4. हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं......
    इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं।

    www.samwaadghar.blogspot.com

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  5. स्वागत है बलोग जगत में ।

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  6. swagat hai, main bhi banker hun 32 years ki service. aapko padhta rahunga.

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  7. आप आये बहार आयी .......
    कुछ नया ही दे के जाइयेगा

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  8. ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
    pls visit....
    www.dweepanter.blogspot.com

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